आशीर्वाद
बड़े बुजुर्गों से मिलता आशीर्वाद
बेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी;
त्याग समर्पण की देवी, साक्षात् लक्ष्मी ,
जिस घर में जाओगी बिटिया!
वह घर ख़ुशियों से भर जाएगा ,
मांँ सीता के जैसे ही ; तुममें प्रेम है,
धैर्यता ,गंभीरता ,परिस्थितियों का सामना ,
तुम बख़ूबी कर लेती हो!
बड़ा भाग्यशाली होगा ! वह वर !
तुम्हारा जीवन साथी जो बनेगा,
देवी सीता की जैसे ही;
ना तुममें मद , ना लोभ ,
कहांँ राजमहल कहांँ वन ,
वैसे ही; तुम्हारे लिए
क्या शहर ! क्या गांँव!
अपने आपको हर परिस्थितियों में ढाल लेती हो!
बड़े बुजुर्गों से मिलता है आशीर्वाद,
बेटी तुम हो ! माँ सीता! जैसी।
— चेतना प्रकाश ‘चितेरी’