कविता

अवैध रिश्ते

रिश्तों के दरमियान
कुछ दगाबाज पलते
जो अपनों को ही
अंधेरे में रख हर वक्त छलते।।
अवैध रिश्ते कहां कभी
किसी को फलते
हाथ मलते रह जाते तब
फरेबी इंसा
जब अपनों को भी खोते
अवैध रिश्तों से भी हाथ धोते।।
जब दुनिया से भी मिले दुत्कार उसको , तब वो
तंहाई में आकर अकेले  खूब रोते।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित