कविता – वृद्धा आश्रम
भगवान के समान माता पिता होते है
तुम्हें इस दुनियाँ में वो लेकर आये है
जिसने पाला पोसकर तुमको इतना बड़ा किया
पूरा जीवन तुम पर न्यौछावर किया
माँ ने अपने ममता के आँचल में तुमको सुलाया
पिता ने हर राह पर तुम्हारा साथ दिया
जीवन तुमको सुख सुविधा और अपना प्रेम दिया
माँ ने हर कर्तव्य ,फर्ज निभाकर तुमको शिक्षित किया
अब उनका बुढापा आया तो तुमने उनको पराया कर दिया
वृद्धाश्रम भेजकर तुमने कौन सा अच्छा कर्म किया
आधुनिकता के चलते तुमने उनसे नाता तोड़ लिया
माता पिता को वृद्धाश्रम भेजकर उनकी परवरिश पर प्रश्नचिन्ह लगाया
आज के कुटिल बच्चों तुम पाश्चात्य सभ्यता छोड़ कर अपनी संस्कृति अपनाएं
तुम्हारा समय भी आएगा जब तुम्हारे बेटे यहां छोड़कर जाएंगे
आओ हम सब मिलकर वृद्धाश्रम का विरोध करें
सबक सिखाये ऐसी संतान को जो कभी फिर ये काम न करें.
— पूनम गुप्ता