लघुकथा

भारी पलड़ा

बहुत ही सुंदर और सीधी लड़की अंशी की शादी हो रही थी. वह दुल्हन बन कर स्टेज पर आ रही थी.
“यार क्या गजब का माल मिला है तुझे. तू तो इसको झेल नहीं पायेगा, बोल तो सुहागरात पर हम भी आ जाएं!”
“ये तो कुछ भी नहीं है इसकी बहन को देखकर तो मुंह में पानी आ जायेगा.” बेशर्मी वाली हसीं हंस कर दूल्हा बोला.
वरमाला पड़ चुकी थी और दूल्हे के दोस्त शराब के नशे में फूहड़ डांस कर रहे थे. तभी दूल्हे के किसी दोस्त ने एक लड़की को छेड़ दिया और वहां चीख पुकार मच गई.
बात इतनी बढ़ गई कि मारपीट की नौबत आ गई और दूल्हे के मित्रों ने अंशी के अभिभावकों से अभद्रता कर दी.
दूल्हा और उसका परिवार चुप्पी साधे हुए थे, जिसके कारण बात आगे बढ़कर दूल्हे के ऊपर आ गई और दूल्हे और उसके दोस्तों की अच्छी तरह से खातिरदारी की गई.
पुलिस को बुलाकर सबको जेल में डलवाया गया.
हैवानियत का भारी पलड़ा झुकने को विवश हो गया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244