इलाज़
“अरे रामलाल! अभी-अभी टैक्सी से आने वाली लड़की “शीला” ही है ना?” रोहित ने पूछा।
“हां भई! मिश्रा जी की बिटिया शीला ही है। रोज़ इसी टैक्सी से आती-जाती है।” चटकारे लेते हुए रामलाल बोला।
“बड़ी स्टाइलिश हो गई है … ” कुटिल नजरें अभी भी उसी दिशा में उलझी हुई थीं।
“थोड़ी तो शर्म करो। “शीला” हमारी ही कंपनी में मैनेजर है। कंपनी से अभी गाड़ी नहीं मिली है, इसलिए टैक्सी से ही आती जाती है। बाकी, बीवी के पैसों पर ऐश करने वाले की सोच कभी आगे नहीं बढ़ सकती।” , पीछे से अपनी बीवी रीना की बात सुनते ही रोहित सकपका कर मुड़ा।
रीना की आंखों में समाया गुस्सा, रोहित की बदनीयत का इलाज़ करने को काफी था।
अंजु गुप्ता