मुक्तक/दोहा

दान

अपने कर्म से अर्जित किया, थोड़ा  कीजिए दान।
प्रेम घट भीतर भर लीजिए ,हो खुशियों का भान।
जितनी जरूरत है आप को, उतना ही  रखो पास,
जरूरतमंद की मदद करो, भलाई  इस  को  मान।
चिड़ी चोंच भर जल ले गई, सरिता न घटियो नीर।
बहते नदी का पानी कभी,  करता नहीं अभिमान।
है रोटी  मिले  दो वक्त की,  यही   जीवन  आधार,
भूखे  को  भोजन  दीजिए,  मानिये   उत्तम   दान।
दिव्यांग  उम्मीद  लिए रहें,  जीवन  की  नई  भोर,
सहारा बन कर उन का चलें, भरें जीवन  मुस्कान।
मदद दीन की करते रहो, जिन्हें  मदद   की  आस,
दान दिये  है धन  नहीं  घटे,  कहते  संत   विद्वान।
मानव देह नसीब से मिली, करो  सदा  शुभ काज,
हो दान कर्म निज हाथ सदा, होते खुशी  भगवान।
एक  हाथ  से  देते  समय, दुसरा   हाथ   हो  शांत,
गुप्त दान मन से  कीजिए, नहीं हो   कभी  गुमान।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995