विश्वास जो टूटे
जब कभी रिशतों के दरमियान
विश्वास टूट जाता है
वो रिश्ता , रिश्ता नहीं सिर्फ
मजबूरी ही कहलाता है।।
तमाम कोशिशें करली कि
कभी वक्त सब बदल देगा
वक्त तो वक्त दे राज़ी था पर
इंसा ना सुधर पाता है।।
क्या हासिल कर लिया तुमने ?
रिश्तों को तोड़ जो पाना चाहते
रिश्तों को तोड़ , दर्द में छोड़
इंसा क्या मुस्कुरा पाता है।।
वक्त दर वक्त तो उम्र एक दिन
सबकी ढ़ल जानी है
क्या उम्र के उस पढ़ाव में अपनों
के साथ की उम्मीद ना चाहता है।।
तोड़ वीणा के तारों के बंधनों को
कब तक खुश कोई रह लेगा
खुशी के बंधन तेरे टूटें ये शब्द
सजा दुआ मांगना आता है।।
— वीना आडवाणी तन्वी