गीतिका/ग़ज़ल

दायरा

ख़्वाब के रास्तों नींद के दायरे में हाज़िर हूं,
मीठी नींद ,गहरी आंखों के दायरे में हाज़िर हूं।
रात की बारिश बादल के पानी में हाज़िर हूं।
आंसू हजार टूटे पलकों के दायरे में हाज़िर हूं।
अंधेरा,नींद की वादियां लॉरिया गाती मंद हवा,
सख्त बिस्तर के सिलवटों के दायरे में हाज़िर हूं।
बंध आंखों को चीर कर चुप चाप खड़ी थी नींद,
याद के जंगलों में बीते पल के दायरे में हाज़िर हूं।
नींद के तआक़ुब में दूर दूर तक ला-हासिल,
तिरा बिछड़ना, मेरे जागने के दायरे में हाज़िर हूं।
— बिजल जगड

बिजल जगड

२४ साल से क्लीनिकल मेडिकल सेल्स में मल्टीनेशनल कंपनी में पश्चिम और दक्षिण भारत की सेल्स टीम की हैड हिंदी,अंग्रेज़ी एवम् गुजराती साहित्य में रुचि। ६ साल से वे कविता , ग़ज़ल ,लेख ,माइक्रो फ्रिक्शन विधा में लिखती हूं। 29 एंथोलोजी किताब मैं सहभागी हूँ। महात्मा गांधी साहित्य मंच ने मुझे *राजाबलि* के नाम से नवाज़ा है, स्टोरी मिरर ने लिटरेरी कैप्टन ऑफ़ 2020 से नवाज़ा है, आल इंडिया आइकॉनिक अवार्ड हिंदी साहित्य के लिए मिला है, प्रोफाउंड राइटर अवार्ड 2021 के लिए दिया गया है। ८ सालो से आदिवासी गांव महाराष्ट्र और गुजरात में हर महीने दो दिन सेवा देती हूं। इंडिया आइकॉनिक अवार्ड, सेवा परमो धर्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया है, और विजय रूपानी CM गुजरात जी ने मेरे काम के लिए अभिनंदन पत्र भेजा है । आध्यात्मिक सफर १४ साल पहले शुरू हुआ , और वे प्राणिक हीलिंग, एक्सेस बार्स कांशसनेस, साई संजीवनी हीलिंग, टैरो कार्ड ये सब मोड़ालिटी प्रैक्टिस करती हूँ। बिजल जगड मुंबई घाटकोपर