भोला बचपन
शरारत से
भरा वो बचपन
कहाँ खो गया
हाथों में मिट्टी
धूल भरे कपड़े
भोला सा मुख
गुड़िया गुडे
खेल खिलौना संग
दिन बिताना
सुहाने थे दिन
कहां खो गए सब
यादों में बसे
संगी वो
दोस्तों की वो बातें
किस्से कहानी
पिछले दिनों की
वो यादें सुनहरी
कोई लौटा दे
— रचना वर्मा