कविता

कविता

मन का अगर एक कोना भी रुठ जाए तो
उसकी उदास छाया
पूरे मनस्थिति को विचलित कर
अपने मन का हिस्सा बना लेती है

जीवन की पगडंडियां हमेशा
एक जैसी नहीं होती
कभी इन राहों में
आनंद की यात्रा का सुखद अनुभव
तो कभी कांटों की जमीं पे
नंगे पांव दौड़ने की चुभन भी
समाहित होती है

अतीत की कोई घनी वेदना
लंबे समय से सीने में जमकर जब
सख्त हो जाती है तो

हजार कोशिशों के बाद भी वह
पिघलने का नाम नहीं लेती है
जैसे अन्तस् का हिस्सा बन चुकी हो

परिवर्तन एक सत्यता है
जिसका घटित होना ही जीवन है

पर कई बार
परिवर्तन के इस नए रूप को
सहजता से स्वीकारने में
असहजता जन्म ले लेती है।

— बबली सिन्हा ‘वान्या’

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- bablisinha911@gmail.com