नैतिकता के दोहे
नैतिकता के पथ चलो, तभी बनेगी बात।
जीवन तब होगा मधुर, पाये तू सौगात।।
नैतिकता के संग हैं, दया, मनुजता,नेह।
मन को पावनता मिले, पुलकित होती देह।।
नैतिकता को जो वरें, बनते वे बलवान।
सदा आत्मिक वेग सँग, वे बनते इंसान।।
नैतिकता से ज़िन्दगी,होती बहुत महान।
धर्म-कर्म शोभित रहें,मिले सदा उत्थान।।
नैतिकता का गूँजता,हर युग में यशगान।
जो नैतिकता को तजे,हो जाता अवसान।।
नैतिकता का मान है,नैतिकता की शान।
नैतिकता से पूर्ण हों,मानव के अरमान।।
नैतिकता करुणा वरे,नैतिकता गुणधर्म।
नैतिकता में देव हैं,नैतिकता बिन शर्म।।
नैतिकता से प्रीति कर,बनता मनुज बहार।
जो नैतिकता मार दे,वह पाता अँधियार।।
नैतिकता में चेतना,नैतिकता की धार।
नैतिकता के तेज से,रोशन सब संसार।।
नैतिकता गतिमय रहे,नैतिकता शुभगीत।
नैतिकता रहती जहाँ,वहाँ नित्य ही जीत।।
— प्रो. (डॉ) शरद नारायण खरे