गीतिका/ग़ज़ल

मज़हबी सिद्धांत की प्रचलित प्रथाओं के उलट

मज़हबी सिद्धांत की प्रचलित प्रथाओं के उलट
चल पड़े किन रास्तों‌ पर हम दिशाओं के उलट

हर तरफ़ उन्माद हर सू बढ़ रही हैं नफ़रतें
प्रेम की सदभाव की परिकल्पनाओं के उलट

की सियासत ने शुरु जब से तिजारत धर्म की
हो गया शैंतान इंसां आस्थाओं के उलट

धर्मों से उम्मीद क्या क्या थी जहां की क्या कहें
धर्म क्या क्या हो गये अवधारणाओं के उलट

वे जिन्होंने ज़ुल्म की हद पार की, हर बार की
पा रहे हैं वे बशर पदवी सज़ाओं के उलट

लोग वे ही दर्ज़ हैं इतिहास की तारीख में
जो चले हर हाल दरबारी हवाओं‌ के उलट

सोचता हूँ जो कभी हमराज़ हमदम थे वही
बे वफा क्यूँ हो गये इतनी वफ़ाओं के उलट

सतीश बंसल
१५.१२.२०२२

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.