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अनुभव ..
सिखाते हैं हमें अनुभव
जीवन में रहना कैसे
इस दुनिया में,
समझते हैं भली – भांति अपने को,
अपनों को और औरों को
नित जोड़ो अपने आपसे
देखो दुनिया चलती है
किस विधि से,
सामाजिक संबंध बनते हैं
किस तरीके से
चलते हैं हम
अनुभव के बल पर
अपने तरीके से,
तय होता है अपना रास्ता
डेढ़ा-मेढ़ा या सीधा-सादा
उलझनों को पारकर चलना
चालाकी होती है मनुष्य की
मानव के इस जग में
हरेक का अनुभव एक जैसा नहीं होता
देश – काल परिस्थियाँ
हमें सूचित करती हैं दिशा
मजबूरी से चलना पड़ता है
मनुष्य को इस जग में।