छोटी-छोटी
छोटी-छोटी खुशी से ही ‘गर हम खुश हो जाएं,
खुशियों का भंडार भर जाए, जीवन संवर जाए!
छोटी-छोटी बातों-मुलाकातों पर ग़ौर किया जाए,
शायद वो ही कभी बड़ी उपलब्धि बन जाएं!
छोटी-छोटी हार से निराश क्यों हुआ जाए,
शायद किसी दिन आशा का सूर्य चमक जाए!
छोटी-छोटी उलझन को साहस से सुलझाया जाए,
शायद यही साहस किसी बड़ी-सी उलझन को सुलझा जाए.
छोटी-छोटी भूल से सबक बड़ा सीखा जाए,
छोटी-सी भूल ही जी का जंजाल न बन जाए!
छोटी-छोटी बूंद को कमतर न आंका जाए,
छोटी-छोटी बूंद से ही गागर भर जाए,
सागर-महासागर बन जाएं,
सागर-महासागर बन जाएं,
सागर-महासागर बन जाएं.