खुदखुशी कायरता की निशानी है
ज़िंदगी जैसी अनमोल चीज़ को कितना सस्ता समझने लगे है लोग! एक बार मिलती है ज़िंदगी। अगला-पिछला जन्म सब ख़याली बातें है, जो जीवंत है वही सच्चाई है। जो सीने में धड़कता है वही हकीकत है। कल टीवी एक्ट्रेस तुनिषा शर्मा ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। तुनिषा अपने शो ‘अली बाबा दास्तान-ए-काबुल’ के सेट पर थीं, जहां उन्होंने आत्महत्या की। उनका शव सह-कलाकार शीज़ान खान के मेकअप रूम में मिला। महज़ बीस साल की उम्र में एक हँसती-खेलती ज़िंदगी मौत के मुँह में गिरकर दफ़न हो गई। कितनी दु:खदायक घटना है।
आजकल की पीढ़ी कितनी असहनशील और शोर्ट टेंपर होती जा रही है। छोटी सी बात पर जान देकर ज़िंदगी को ख़त्म कर देना क्या जायज़ है? क्या हर मुश्किल का हल खुदकुशी एकमात्र है? कितने स्वार्थी होते जा रहे है आजकल के बच्चें; जो समझते है की मौत को गले लगाकर अपने हर दर्द से निजात पा लेंगे। पर क्या, माँ-बाप और परिवार वालों के बारे में सोचना उनका फ़र्ज़ नहीं बनता? एक कमी छोड़ जाते है पीछे रह गए परिवार वालों के जीवन में। ज़िंदगी भर का दर्द और असहनीय पीड़ा छोड़ जाते है।
खुदखुशी दुखों का अंत नहीं कायरता कि निशानी है। ज़िंदगी धूप-छाँव है, हिम्मत और हौसला ही जीवन का पर्याय है। लाईट, एक्शन, कैमरे की चकाचौंध के पीछे इतना गहरा अंधेरा क्यूँ है? फिल्मी और टीवी दुनिया के कई सितारों ने ज़िंदगी से हार कर मौत के लिए ये रास्ता अपनाया है। ऐसी कौन सी विपदा होती है जो इंसान हार जाता है? क्यूँ उस कमज़ोर घड़ी के आगे घुटने टेक लेते है?
कोई भी तरीका अपनाओ जान आसानी से नहीं निकलती, सोचकर ही रौंगटे खड़े हो जाते है। जब उस असीम पीड़ा को सहने की हिम्मत कर लेते हो, तो जिस वजह से खुदकुशी करने की सोच रहे हो वो वजह असल में कम पीड़ादायक होती है। उस वजह का हल ढूँढने से अचूक मिल जाएगा, तो कुदरत को अपना काम करने दो क्यूँ ईश्वर की दी हुई सुंदर सी अमानत को ख़त्म करनी है।
जिस पल भी मरने का खयाल आए उठकर कहीं बाहर चले जाओ, या किसी अपनों के साथ रहो। मन की बात या जो भी परेशानी है किसीके साथ शेयर करो, हर मुश्किल का हल होता है। चार लोगों को बताएँगे तो कोई ना कोई समाधान मिल ही जाएगा।
मानसिक स्तर पर स्वस्थ इंसानों को भी खुदखुशी करते देखा है। कितने कारण होते है अकेलापन, पैसों की तंगी, काम की चिंता, डिप्रेशन सबको कोई ना कोई परेशानी होती ही है, पर खुशी बाँटने से बढ़ती है और दु:ख, उदासी और परेशानी अपनों के साथ साझा करने से कम होते है। तनाव के क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते है। वो लोग जिनके पास सब कुछ है शान, शौकत, पैसा रुतबा इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता।
पर ज़िंदगी में एक कँधा ऐसा रखो जिस पर सर रखकर आप अपना सबकुछ नि:संकोच साझा कर सको। एक ऐसा दोस्त कि जिसके साथ किसी छोटी सी चाय कि दुकान पर बैठ कर सुख-दु:ख बाँट सको।।जाने वाला चला जाता है, पीछे छोड़कर जाता है अपनों के लिए दु:ख पीड़ा और अफ़सोस कि काश अपनी परेशानी हमें बताता तो सही हम उनके अपने ही थे, कोई ना कोई हल जरूर निकालते। कमज़ोर खयाल के वक्त दोराहे पर खड़े रहकर हंमेशा कुछ पल के लिए रुकना चाहिए। एक रास्ता सही होता है जो आपको मंज़िल तक पहुँचाता है और एक गलत राह पर रखा कदम ज़िंदगी तहस-नहस कर देता है।
कमज़ोर घड़ी में जब कमज़ोर खयाल आए तब अपने आस-पास हंमेशा देखे बहुत सारे लोग हमसे भी कई ज़्यादा दु:खी और परेशान दिखेंगे। जब वो लोग हंसते हुए हर परिस्थिति में जी लेते है तो आप क्यूँ नहीं।
ज़िंदगी खत्म करने की बजाय जीने का पर्याय ढूँढना चाहिए, प्रयत्न से हल ढूँढना चाहिए। ज़िंदगी बहुत अनमोल है आपके अपनों के लिए आप सबकुछ हो, एक बार उनके लिए सोचना चाहिए। मौत आपके लिए हर परेशानी का अंत है पर.. आपके घरवालों के लिए एक ऐसी अपूरणीय क्षति और खालीपन छोड़ जाते हो जो कभी कोई भरपाई नहीं कर सकता। माना कि ज़िंदगी संघर्ष है, चुनौती है, जंग है हम इंसानों के लिए सकारात्मक सोच और हिम्मत ही ज़िंदगी जीने का पर्याय है। मत दो छोटी सी बात की इतनी बड़ी सज़ा खुद को और अपने परिवार को हर चीज़ का समाधान मुमकिन है। हारो नहीं ड़टकर मुकाबला करो ज़िंदगी अनमोल है कद्र करो यूँ सस्ते में जाया न करो।
— भावना ठाकर ‘भावु’