राष्ट्रवादी कृति इनसे हैं हम शिक्षको में भी लोकप्रिय
आजादी के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में गुमनाम पूर्वजों की यशगाथा पर आधारित राष्ट्रवादी पुस्तक इनसे हैं हम की लोकप्रियता शिक्षकों में भी बढ़ रही है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अवधेश कुमार अवध द्वारा इक्यावन लेखकों के सह लेखन में लिखित इक्यावन प्रतिनिधि पूर्वजों की शौर्यगाथा है इनसे हैं हम। यह पुस्तक श्याम प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित एवं शिक्षा भारती, जमशेदपुर से मुद्रित है। इसकी माँग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छः महीने में ही इसके दो संस्करण प्रकाशित करने पड़े। डॉ अवध ने बताया कि हजारों लोगों द्वारा इनसे हैं हम को पढ़ते हुए अपनी फोटो और टिप्पणियाँ भेजी जा रही हैं। इसकी निःशुल्क पीडीएफ प्रति भी प्रबुद्ध देशप्रेमी स्वयं पढ़कर दूसरों को उपहार में दे रहे हैं। राष्ट्र और राज्यों की सरकारों के आँख बंद रखने के बावजूद भी आम जनता, शिक्षक और जागरूक विद्यार्थी इनसे हैं हम को सप्रेम अपना रहे हैं। भारतीय सेना से दिवाकर जी ने इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की माँग की है। शिक्षक कृष्ण मोहन तिवारी, अनिकेत कुमार, अजय सिंह, नितु सिंह, डॉ पवन, डॉ बिनोद, सुचारिता, मालाबिका आदि ने सरकार की उपेक्षा पर नाराजगी व्यक्त की है।