कविता

जमानत

जमानत की मत कर सौदाई
मेरी प्यार में है मेरी सच्चाई
दिल की ना करना है व्यापार
जानम सच्चा है अपना प्यार

कोई दुजा मेरे संग ना आयेगा
प्यार की गुलशन तुँ महकायेगा
हँसीन कलियॉ को भी ना देखूगॉ
कोरे कागज पे वादा लिख दूँगा

कोई मेरा दिल ना धड़काये
पहरा बिठा दो कोई ना आये
अपना प्यार तुझपे है निसार
तेरी आँचल में मेरी  संसार

जन्म जन्म का है रिश्ता नाता
दो प्रेमी में कोई कब है आता
कोई मेरी कदम ना  बहकाये
जंजीरों में बाँध लो  हम आयें

आसमां पे तुम चॉद अब ना आना
अपनी सूरत हमको ना दिखलाना
मेरे लिये सिर्फ मेरी है चाँदनी
कोई दुजा ना होगी मेरी संगनी

जब जब धरा पे ये तन पाऊँ
तुमको ही मैं अपना बनाऊँ
लाख छिपी रहेगी भीड़ भाड़ में
खोज निकालूँगा मैं तुम्हें हजार में

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088