गीतिका/ग़ज़ल

न जाने कब!

बिंब से प्रतिबिंब हो गए,
न जाने कब!
हम तुम्हारे हो गए,
न जाने कब!
छंद सब स्वच्छंद हो गए,
न जाने कब!
प्रीत पे प्रतिबंध हो गए,
न जाने कब!
द्वंद्व सब निर्द्वंद्व हो गए,
न जाने कब!
न जाने कब!
न जाने कब!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244