पुरानी यादों पर कोहरा जम गया!
पुरानी यादों पर कोहरा जम गया…
बीत गए क्यों पल में वो पुराने किस्से,
हुआ करते थे कभी ज़िन्दगी के हिस्से!
यादों का मौसम भी मानो अब थम गया ,
क्यों उन पुरानी यादों पर कोहरा जम गया!!
सोचा था समेट कर सब हसीन पलों को यूँ,
इक यादों का कारवां सा बनाएंगे फिर हम!
जो न भूलना चाहते हैं हम कभी भी पल,
उनको हसीन यादों का हिस्सा बनाएंगे कल!!
जाने सब कुछ देखते ही ऐसे बदल गया,
उन पुरानी यादों पर कोहरा जम गया!
आओगे कभी इस शहर में वापिस जो तुम,
देखना अपने अतीत के वो पदचिह्न भी!
जिनके बाकी कोई निशान तो नहीं होंगे,
चलते रहेंगे नए मुसाफ़िर वीराने नहीं होंगे!!
हाँ राहों में लगेगा जैसा वक्त वहीं थम गया!
क्यों उन पुरानी यादों पर कोहरा जम गया!!