दिल है बेकरार
मन में तेरी ही है इन्तजार
तेरे लिये मेरा दिल है बेकरार
जन्मों जन्मों का है ये पावन रिश्ता
दो दिल का मिलन का है वास्ता
पैगाम प्रेम की लिख भेजा है मैंने
अपनी दिल की राजबताया है इसमें
ना रूक कर कभी देखा जमाने की सैलाब
ये है सच्ची मोहब्बत की बुलंद जज्बात
बागों में कलियॉ कुछ यूँ मुस्कुराई है
मेरे गमगीन चेहरे पे थोड़ी खुशी आई है
लव मौन है पर नयन में है संचार
मन की मंदिर में है अब तेरा इन्तजार
चलो छुप कर बसा ले एक नई दुनियाँ
जहाँ हम दोनों का हो अपना एक संसार
— उदय किशोर साह