बादलों के बीच चाँद
बादलों के बीच चन्दा रानी की ईशारा
अमर रहेगा अपना प्यार हमारा
चाँदनी ने भी सहमति अपनी जताई
तूँ जीवन में ना हो पायेगी पराई
चलो प्यार की पथ पर चल बढ़ जायें
बादलों के साये में एक शहर बसायें
होगा उस पर अपना एक आशियाना
हर चेहरा जहाँ होगा जाना पहंचाना
ख्वाबों के इस महल में हम खो जायें
दो जिस्म एक जान अब हो जायें
कोई दीवार ना होगी अब बीच हमारा
मोहब्बत जवाँ रहेगी हमारा तुम्हारा
ना समाज की डर ना कोई हो बंधन
ना कभी जीवन में हो कोई अनबन
एक दुजै के हम राजदार सहभागी
सुख दुःख के हम हैं जीवन साथी
प्रेम दरिया के नैय्या पतवार तुम्हारा
विध्न बाधा सह लेगें हम अब सारा
चलो प्रेम की गुलशन को आज सजायें
प्रेम नीर से गुलशन को अब उपजायें
— उदय किशोर साह