“दाल-भात अच्छे लगें, कंकड़ देते कष्ट”
दाल-भात अच्छे लगें, कंकड़ देते कष्ट।
भोजन के आनन्द को, कर देते है नष्ट।।
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ध्यान लगाकर बीनिये, कंकड़ और कबाड़।
प्राणवायु मिल जायेगी, खोलो बन्द किवाड़।।
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जीवन में मिलते तभी, खुशी और आनन्द।
जब सम्बन्धों में करें, बैर-भाव को बन्द।।
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बन्द कीजिए देश में, दो हजार के नोट।
अर्थव्यव्स्था को रहे, ये ही नोच-खसोट।।
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सुमन बाँटते हैं खुशी, दुख देते हैं शूल।
उनको गले लगाइए, जो होते अनुकूल।।
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जीवन के हर मोड़ पर, मिलते लोग अनेक।
मीत बनाने के लिए, रखना बुद्धि-विवेक।।
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होता है अन्तःकरण, जिन लोगों का शुद्ध।
जो जीवन को दें दिशा, वो कहलाते बुद्ध।।
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मर्यादाओं में करो, अपने सारे काम।
नियमों में बँधकर मनुज, कहलाता है राम।।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)