मुक्तक/दोहा

संवैधानिक दोहे

लिए तिरंगा आ गया ,भारत का गणतंत्र
 सारे मजहब एक हैं, फूंक रहा यह मंत्र ।।
प्रेम भाव सबसे रखो ,करो मान सम्मान
समता का विचार हो ,कहता यही विधान ।।
बंधुत्व की हो भावना, हो सभी खुशहाल
वे सरहद भी याद हो ,जहां वतन के लाल ।।
इंद्रधनुष में समाए ,जैसे कई कई रंग
संविधान भी एक है, भिन्न-भिन्न है अंग ।।
अंतर्निहित दृष्टि का, पावन यही प्रकाश
यही देश की आत्मा, और यही विश्वास ।।
सारे नियम  विधान भी ,सबको अंगीकार
नैतिकता से जुड़े ,हैं मौलिक अधिकार ।।
संविधान पहचान है,दर्शन भी संविधान
जय घोष कर बोलिए ,जय जय हिंदुस्तान!।।
 — सतीश उपाध्याय

सतीश उपाध्याय

उम्र 62 वर्ष (2021 में) नवसाक्षर साहित्य माला ऋचा प्रकाशन दिल्ली द्वारा एवं नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा दो पुस्तकों का प्रकाशन कृष्णा उपाध्याय सेनानी कुटी वार्ड नं 10 मनेंद्रगढ़, कोरिया छत्तीसगढ़ मो. 93000-91563 ईमेल- [email protected]