कैंसर हॉस्पिटल में उस जोकर को देखकर लोग आपस में बात कर रहे थे। उस जोकर को देखकर तो मुझे वो फिल्म याद आती है -“मेरा नाम जोकर “। हुबहू वैसे ही वेशभूषा में यह जोकर मुझे अक्सर कैंसर हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में दिखाई दे जाता है। कैंसर हॉस्पिटल में आखिर इस जोकर का […]
Author: सतीश उपाध्याय
दोहे- सांसों में आलाप
भीतर सरगम तप रही सांसो में आलाप सूरज अब करने लगा अंगारों का जाप।। धूप अभी ऐसे चुभे जैसे होए बबूल जिस्मों को है भेदती किरणें बनकर शूल। फूलों के रंगत उड़ी कंचन देह निढाल तितली बैठी ओट में अपने पंख संभाल । नमी चुराती अब हवा बेसुध, सारे पात नव पल्लव के टूटते नरम […]
संवैधानिक दोहे
लिए तिरंगा आ गया ,भारत का गणतंत्र सारे मजहब एक हैं, फूंक रहा यह मंत्र ।। प्रेम भाव सबसे रखो ,करो मान सम्मान समता का विचार हो ,कहता यही विधान ।। बंधुत्व की हो भावना, हो सभी खुशहाल वे सरहद भी याद हो ,जहां वतन के लाल ।। इंद्रधनुष में समाए ,जैसे कई कई रंग […]
फिर से वही सवेरा होगा
अभी रात का घना अंधेरा फिर तो वहीं सबेरा होगा झूमेंगे फिर वृक्ष हवा में पंछी का वही बसेरा होगा । नाचेंगी भीतर, फिर खुशियां हसरत मौज मनाएगी उपवन मे फिर फूल खिलेंगे हरियाली मुस्कायेगी। पनघट मे छलकेगी गगरी पनिहारन का डेरा होगा। अभी रात का घना अंधेरा फिर से वही सवेरा होगा। जिस्म जले […]