गीतिका/ग़ज़ल

उत्तरप्रदेश

*उत्तर प्रदेश*

नव कलेवर नव दिशा में बढ़ रहा उत्तर प्रदेश ।
अब नवल परिवेश गढ़ कर खिल रहा उत्तर प्रदेश ।

शुद्ध वातायन हुआ है,प्रकृति मुस्काने लगी,
योग की पावन ज़मीं फिर गढ़ रहा उत्तर प्रदेश।

राम लक्षण की ज़मी आदर्श जो बिसरा दिए ,
सभ्यता आदर्श वह दोहरा रहा उत्तर प्रदेश।

जो मनुज हिंसक पशू बन फिर रहे थे भूमि पर,
अब नकेलें कस रहा दहला रहा उत्तर प्रदेश।

रश्मियां आदित्य की नव तेज फैलाने लगी ,
कलुष कल्मष बर्फ पिघलाता रहा उत्तरप्रदेश ।

खत्म भ्रष्टाचार कर आतंक भय को रौंदने ,
शक्ति बुलडोज़र चढ़ाने बढ़ रहा उत्तर प्रदेश।

बाल – बाला में न अंतर देखिए यह कह रहा ,
बालिकाओं को सुरक्षित कर रहा उत्तर प्रदेश ।

अब रहे नारी न अबला हो सशक्तिकरण अब ,
ज्ञान की गंगा बहाता चल रहा उत्तर प्रदेश।

रोग पीड़ित हो ना कोई भूंख से छूटे ना दम ,
अन्न घर घर बांट औषधि दे रहा उत्तर प्रदेश।

राम की है पुण्य भूमि राम के संस्कार हों,
बस इसी संकल्प पथ पर बढ़ रहा उत्तर प्रदेश ।

वीरता बलिदान का भगवा सुहाना रंग ले,
राम का जय घोष करता बढ़ रहा उत्तर प्रदेश ।
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ (उत्तरप्रदेश )

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016