कभी-न-कभी
मुगालते में ही जिंदगी गुजर जाती है,
शायद मिल जाओ कभी-न-कभी
तुम्हारे आने की कोई आहट ही मिल जाए,
शायद मेहरबां हो जाओ कभी-न-कभी
गहन अंधकार के बाद उजाला आ ही जाता है,
शायद प्रकाश बनकर आओ कभी-न-कभी
शायद मेहरबां हो जाओ कभी-न-कभी
शायद मेहरबां हो जाओ कभी-न-कभी