गीत/नवगीत

नई शुरुआत

जिंदगी की नई शुरुआत की जाय,
की थी जो उम्मीद औरों से वो अब खुद से की जाय!
विश्वास औरों पर क्यों करना मुनासिब?
विश्वास खुद और खुदी पर करने की पहल की जाय!
रिश्तों की पाठशाला बनाई रखी जाय,
अर्थशास्त्र के अनेक गुणों-सूत्रों को अनदेखा किया जाय!
आनंद की दरकार किसे नहीं है!
आनंद के दरिया को सायास नवीन विस्तार दिया जाय!
अज्ञान का अंधियारा है जिन कोनों में,
रोशनी का तेजोमय आकाशदीप वहां रोशन किया जाय!
अनमोल प्रेम भी बिन मोल मिल सकता,
चंदोवा प्रेम का चहुं ओर विस्तारित तो किया जाय!
सुना है खुशियां बांटने से बढ़ती हैं,
खुशियों का खज़ाना क्यों न खुले आम बांटा जाय!
कहने को होती हैं यों तो बातें बहुत,
तनिक तरन्नुम खामोशी की भी तो सुन ली जाय!
आने को आएंगी बाधाएं अनगिनत,
हौसले-जुनूं की जद से उनको निस्सार किया जाय!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244