गीतिका/ग़ज़ल

खुदा की रचना

तुम झुम झुम ना चला करो, मेरा दिल पसिजे जाता है
तेरे नैन बङे है कजरारे, मेरा मन मचलता जाता है
यह खुदा की फिदरत मानो, जो इस सांचे में ढाला तुझे
फुर्सत में रचना की तेरी, हर कोई देख हर्षाता है
तुझे नापतोल तैयार किया, जैसे काम ना था उस दिन उसको
स्वर्ग से धरा पर तार दिया, जैसे रोज फुल बर्षाता हो
है कौन नसीबों वाला वो, तेरा गठबंधन होगा रूपा
मदन सिंघल दिदार तेरे, कोई धन्य पुरुष ही पाता है।

— मदन सुमित्रा सिंघल

मदन सुमित्रा सिंघल

पत्रकार साहित्यकार शिलचर असम मो. 9435073653 [email protected]