ग़ज़ल
अपना मन रखिए निर्मल ।।
राम मिलेंगे निश्चय कल ।।
ऐसी नहीं समस्या कोई,,
जिसका ना हो कोई हल ।।
कर्म प्रधान अगर है जीवन,,
तो भविष्य निश्चित उज्जवल ।।
अपने दाग किसे दिखते हैं,,
दर्पण साथ में लेकर चल ।।
अच्छा हो, यदि मन भी हो,,
ऐसा जैसा, वस्त्र धवल ।।
गैरों के संग गलबहियां हैं,,
अब अपनों के साथ है छल ।।
सच या झूठ कहो जो भी,,
बात पे रहिए किन्तु अटल ।।
— समीर द्विवेदी नितान्त