ग़ज़ल
जो सुगन्ध चहुंदिस बिखराए पक्का इत्र वही होता ।। मन मस्तिष्क में जो बस जाए अच्छा चित्र वही होता ।।
Read Moreतुम ही मीरा राधिका, हो तुम ही घनश्याम ।। डूबा हूं मैं सोच में, क्या दूं तुमको नाम ।। —
Read Moreसाहित्य को समर्पित द ग्राम टुडे प्रकाशन समूह द्वारा कन्नौज के लब्ध प्राप्ति रचनाकार समीर द्विवेदी नितान्त को श्री राम
Read Moreज्यों खाने पहुंचे प्रभु, शबरी मां के बेर ।। मुझ तक आने मे नहीं, करना उतनी देर ।। ना ही
Read Moreस्वान्त: सुखाय की भावना से प्रेरित श्रद्धेय डा राम सरन द्विवेदी द्वारा रचित ” पीपल के दल” जीवन के विविध
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