लघुकथा

लघुकथा – समय के पदचिन्ह

अनुभव ने लाला मदन लाल को कहा- ” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘। लाला का नौकर उसे जूते दिखाता गया और वह रेंज बढ़ाता गया। कस्बे की इस दुकान पर सबसे महंगे जूते दस हजार तक के ही थे । उसने कहा -‘ इससे महंगे और भी है जूते?” लाला ने इंकार कर दिया। अनुभव ने वे जूते खरीद लिए । पैसे देने के लिए जैसे ही अनुभव लाला मदनलाल के काउंटर पर खड़ा हुआ , लाला मदन लाल ने बिल काटते हुए कहा बेटा आप कहां से हो ?  मैंने आपको पहचाना नहीं  ? अनुभव बोला – लालाजी मैं धर्मनगर से महू का बेटा हूं । फिर लाला ने पूछा क्या करते हो  ? तो वह बोला  – मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में साइंटिस्ट हूं । तब लाला बोला -अच्छा तो आप महू के बेटे हो; महू तो हमारा ही ग्राहक था। अनुभव बोला जी पिताजी आपके ही ग्राहक थे । फिर वह आगे बोला- “शायद आपको याद हो न हो लेकिन मुझे तो आज भी बीस बरस पहले की वह सारी घटना याद है। मैं बीमार था मेरे पिताजी मुझे दवाई लेने बाजार आए थे । उनके जूते फटे हुए थे । बारिश लगी थी । बारिश का सारा पानी जूतों में जा रहा था । मैं उस समय दस वर्ष का था । वह आपकी दुकान पर आए और आपसे उधार में जूते मांगे । उन जूतों का मूल्य उस समय दस रुपए था । परंतु आपने उधार में जूते देने से यह कहकर इंकार कर दिया कि यह बहुत महंगे जूते हैं आपकी हैसियत से बाहर हैं । इतने महंगे जूते मैं आपको उधार नहीं दे सकता । आपने दूसरी तरफ रखे हुए जूते दिखाते हुए कहा था कि “आपने लेने ही हैं तो ये दो रुपए वाले ले लो उधार में।” पिताजी को यह बात चुभ गई । वे उन्हीं फटे जूतों में वापिस घर आ गए। जबकि पिताजी आपके पास ही पूरे परिवार के लिए जूते खरीदा करते थे। उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा था। फिर वह आगे बोला – ये जूते मैं अपने पापा के लिए ही ले रहा हूं । लालाजी वक्त बदलता रहता है । यह कहकर वह दुकान से बाहर आ गया। अब समय के पदचिन्ह लाला के मानस पटल पर उभर आए थे । वह निरुत्तर सा होकर अनुभव को तब तक देखता रहा जब तक वह अपनी कार में न बैठ गया ।
— अशोक दर्द

अशोक दर्द

जन्म –तिथि - 23- 04 – 1966 माता- श्रीमती रोशनी पिता --- श्री भगत राम पत्नी –श्रीमती आशा [गृहिणी ] संतान -- पुत्री डा. शबनम ठाकुर ,पुत्र इंजि. शुभम ठाकुर शिक्षा – शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड भाषा ज्ञान --- हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत व्यवसाय – राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक जन्म-स्थान-गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा (हि.प्र ] लेखन विधाएं –कविता , कहानी , व लघुकथा प्रकाशित कृतियाँ – अंजुरी भर शब्द [कविता संग्रह ] व लगभग बीस राष्ट्रिय काव्य संग्रहों में कविता लेखन | सम्पादन --- मेरे पहाड़ में [कविता संग्रह ] विद्यालय की पत्रिका बुरांस में सम्पादन सहयोग | प्रसारण ----दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना प्रसारण | सम्मान----- हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत , हिमाचल प्रदेश सिमौर कला संगम द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ , सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | इनके आलावा कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित | अन्य ---इरावती साहित्य एवं कला मंच बनीखेत का अध्यक्ष [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों का आयोजन | सम्प्रति पता –अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा स्थायी पता ----गाँव घट्ट डाकघर बनीखेत जिला चंबा [हिमाचल प्रदेश ] मो .09418248262 , ई मेल --- [email protected]