यमराज का निमंत्रण
कल सुबह मैं घर के बाहर
बैठा चाय पी रहा था,
आदत के अनुरुप ही
अखबार के एक एक शब्द को आंखों से नोच रहा था।
तभी दूर एक साया नुमाया हुआ
और करीब आया तो तो लगा
यमराज का जुड़वां भाई आया।
पर मेरा भ्रम तब टूट गया
जब उसने खुद को यमराज बताया
और एक निमंत्रण पत्र मेरी ओर बढ़ाया।
पहले तो मैंने उसे घूरा फिर सभ्यता का ख्याल आया
अंदर से कुर्सी मंगाया
उस पर उसे बैठने का इशारा किया।
फिर जलपान का आदेश घर के भीतर उछाल दिया।
यमराज बिना किसी ना नुकुर के बैठ गया
मैंने आने का कारण पूछा
तब यमराज ने पहले निमंत्रण पत्र की ओर इशारा किया
फिर हाथ जोड़कर कहने लगा।
प्रभु। यमलोक में एक छोटा सा कवि सम्मेलन है।
आपको अध्यक्ष बनाया है
जिसका निमंत्रण देने मैं स्वयं ही आया हूं।
मैं चौंक गया
मगर मैं कैसे आ सकता हूं
मैं तो अभी जिंदा हूं।
यमलोक में तो मुर्दा कवियों को ही बुलाया गया होगा।
किस बेवकूफ ने मेरा नाम
अध्यक्ष के रूप में सुझाया है।
प्रभु!आप चिंता न करें
यमलोक की सबसे खूबसूरत महिला कवयित्री की
आत्मा की ओर से ये बेहतरीन सुझाव आया है,
और तो और
सभी आमंत्रित कवि आत्माओं ने इस पर मुहर लगाया है।
सोचिए!ये कितने गर्व की बात होगी।
आप जैसी बड़ी शख्सियत
यमलोक के पहले और
आखिरी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करेगी।
अब मुझे चिंता होने लगी
मगर मैं आऊंगा कैसे?
यमराज ने समझाया
प्रभु आप चिंता न करें।
सारा इंतजाम हो गया है
आपके ससमय यमलोक आने का प्रबंध किया गया है
आपके टिकट का अग्रिम अनुबंध हो गया है।
बस! अब आप तैयारी कीजिए।
समय से विमान आ जायेगा
आपको यमलोक तक बिना बाधा के पहुंचाएगा
नाइन स्टार होटल में आपको ठहराया जायेगा
बस!आपको लौटने का कोई इंतजाम नहीं होगा
क्योंकि तब तक आप मन वहीं लग जायेगा
मगर हमें विश्वास है
कि यमलोक के कवि सम्मेलन का
गुणगान धरती पर भी गाया जायेगा।
क्योंकि यमलोक के पहले
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता का गौरव
आपके हिस्से में जो आयेगा।
सोचिए ऐसा अवसर फिर किसी और को
क्या मिल पायेगा?
अखिल ब्रह्मांड के साहित्याकाश में
सिर्फ आपका नाम सबसे विशेष हो जायेगा।
यदि हमारा प्रस्ताव आपके द्वारा स्वीकारा जायेगा।