सुभाष जयंती
आया दिवस अवतरण का उनके
छाया चहुँ ओर उल्लास
अपने रक्त से लिख दिया जिसने
हिंद का एक नया इतिहास
उड़ीसा के कटक में खिला था
सन सत्तानवे में फूल पलाश
आज़ाद हिंद की गठित कर सेना
जिसने जीता सबका विश्वास
परतंत्र भारत में बनकर उभरे
आज़ादी की नई इक आस
भारतीय इतिहास के अमर हस्ताक्षर
योद्धा थे वीर सुभाष
चौबीस वर्ष की अल्पायु में ही
आई एन सी का किया विन्यास
न करो गलत न सहो गलत कह की
राष्ट्र को समर्पित अपनी हर सांस
युवाओं को प्रेरित करते थे
देशभक्ति की अजब थी उनको प्यास
लहू का कण कण राष्ट्र को दे डाला
शेष रहा न कोई उनका काश
देश प्रेम की खातिर छोड़ा सब
थे सिविल परीक्षा में भी वो पास
हिंदवासियों के प्रति सदा ही
रखते थे वो दिल में मिठास
नारा उनका जय हिन्द का कभी
दुश्मन को न आया रास
खातिर स्वदेश के जेल गए पर
स्वतंत्रता की छोड़ी न कभी भी आस
दृढ़प्रतिज्ञा और जोश के जिसके
कायल थे सभी आस पास
किया तन मन धन सब न्यौछावर देश पर
मुर्दों में भी फूंकी श्वास
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
गूंजे ध्वनि ये अवनि आकाश
अंदर तक भेदता था सुभाष को
परतंत्र हिंदवासियोँ का त्रास
सोच स्वतंत्र हिंद की तस्वीर उनके
था मन में भरा हुलास
फिर बांध कफ़न सिर पर किया
ब्रिटिश सरकार का देश निकास
पराक्रम दिवस समर्पित उनको
तारीख़ 23 जनवरी है बिंदास
आदर्शों पर चलकर सुभाष के आओ
मनाएं दिवस यह ख़ास
— पिंकी सिंघल