कविता
तुम काबिल बनो इतने कि ढलती उम्र के तकाज़ों में तुम गर्व का अनुभव करो।
जो सपने तुम्हारी आँखें देखें,
उन्हें पूरा करने को कई रातें जाग कर भी उनकी कीमत तुम भरो।
जो बात तुम्हारे बाबा कहें,
उन्हें सच करने की हर मुमकिन कोशिश तुम करो।
जो तुम्हारी खामियों को कमजोर कर दें,
उस स्तर की खूबियों को तुम अपनाओ।
जो तुम्हारा अस्तित्व विशिष्ट बना दे,
उस मेहनत को अपनी पहचान में तुम बांधो।।
तुम जियो इतने और जीकर दिखाओ ऐसे,
कि ढलती उम्र के तकाज़ों में तुम गर्व का अनुभव करो।।