क्या होगा यदि किसी को उपेक्षित किया जाये हर बार?
पहली बार में सूखेंगे आँसू उसके,
दूसरी बार में वेदना संस्मरित होगी,
तीसरी बार में फिर सूख जायेंगे मन के भाव।।
उपेक्षा विरक्ति की जन्मदात्री है।
जितना व्यक्ति उपेक्षित होता है,
उतना ही वो पृथक करता जाता है स्वयं को स्वयं ही।
यदि वास्तव में सम्बन्ध महत्वपूर्ण है,
तो सतत उपेक्षा को उपेक्षित किया जाना चाहिये।
अन्यथा हमारा अहंकार निगल जाता है हमारे जीवन से उस व्यक्ति को,
जो पूर्ण नैतिकता से समर्पित होता है हमारे लिये।।
— रेखा घनश्याम गौड़