विश्वविद्यालय के आगामी दीक्षांत समारोह की रूपरेखा कार्यपरिषद के समक्ष कुलसचिव ने रखते हुए कहा, “इस बार के प्रस्तावित दीक्षांत समारोह में 175 विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि और 325 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदाय किया जाना है। इस प्रकार कुल 500 विद्यार्थियों को मंच पर सम्मानित किया जाएगा। यदि समारोह में शामिल होने के लिए हम सम्मानित होने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को उनके पैरेंट्स के लिए दो-दो पास जारी करेंगे तो 1000 पैरेंट्स, 500 विद्यार्थी मतलब कुल 1500 लोग होंगे। यूनिवर्सिटी के सभी डिपार्टमेंट के स्टाफ, गेस्ट और स्टूडेंट्स के फिफ्टी परसेंट भी जोड़ लें तो लगभग 3000 होंगे। इस प्रकार 4500 लोगों के बैठने की व्यवस्था करनी होगी। विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम की कुल सीटिंग कैपेसिटी 3000 है। ऐसी स्थिति में यह बहुत छोटा पड़ेगा। इसलिए हमें मितव्ययता की दृष्टि से वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऑडिटोरियम के बाहर ओपन स्पेस में बड़ा-सा डिस्प्ले बोर्ड और टेंट लगाकार अपने यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को बिठाना होगा। चाहें तो सम्मानित होने वाले स्टुडेंट्स के पैरेंट्स के लिए एक ही पास जारी कर सकते हैं। यदि यह परिषद चाहे तो नगर निगम से किराए पर उनका ऑडिटोरियम लेकर भी दीक्षांत समारोह का आयोजन करवा सकते हैं। हालांकि यह अपेक्षाकृत खर्चीला होगा।”
काफी विचार-विमर्श के बाद कुलपति ने घोषणा की, “दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन विश्वविद्यालय के स्टेडियम में टेंपरेरी टेंट लगाकर सभी सम्मानित होने वाले स्टुडेंट्स के सभी पैरेंट्स, उनके फैमिली मेम्बर्स, यूनिवर्सिटी के सभी स्टाफ और स्टुडेंट्स की मौजूदगी में किया जाएगा। इस बार दीक्षांत समारोह के लिए कोई भी पास जारी नहीं किया जाएगा। यूनिवर्सिटी में पढ़ते जरूर स्टुडेंट्स ही हैं, पर उनके सपने सिर्फ उनके ही नहीं होते, बल्कि उनके टीचर्स, पैरेंट्स और फैमिली मेम्बर के भी होते हैं। वैसे भी दीक्षांत समारोह में सम्मानित होने का अवसर बहुत ही कम छात्रों को मिलता है। यह गौरव का क्षण होता है। इस क्षण को जीने का अवसर सबको मिलना चाहिए। इसलिए सभी टीचिंग स्टाफ कोशिश करें कि उनके डिपार्टमेंट के अन्य सभी विद्यार्थी भी इस दीक्षांत समारोह में शामिल हों। दीक्षांत समारोह के आयोजन की भव्यता में कोई कमी न रखी जाए, मीडिया के लोगों से भी आग्रह किया जाए, कि वे स्टूडेंट्स की सफलता की कहानियों को बेहतर और पर्याप्त कवरेज दें, जिससे कि लोग प्रेरित और प्रोत्साहित हों।”
सबने ताली बजाकर निर्णय का स्वागत किया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़