गीत/नवगीत

शोभा है गणतंत्र की

कर्म, विज्ञान, विश्वास है, निराशाओं का अंत।
शोभा है गणतंत्र की, खिला हुआ है आज बसंत।।
गणतंत्र नहीं सत्ता तक सीमित।
सामूहिक हित में, हैं सब बीमित।
गण के तंत्र को जीना सीखें,
क्षण-क्षण इसके लिए ही जीवित।
बासंती रंग में रंग कर के, वसुधा हित हम बनें हैं संत।
शोभा है गणतंत्र की, खिला हुआ है आज बसंत।।
विरोधों का सम्मान करें हम।
कर्म हेतु ही कर्म करें हम।
मृत्यु हमारी चिर प्रेयसी,
पल पल को उत्सर्ग करें हम।
राष्ट्रप्रेमी तो प्रेम पथिक है, सेवक है बस, नहीं महंत।
शोभा है गणतंत्र की, खिला हुआ है आज बसंत।।
बलिदानों के हैं हम आदी।
देश की खातिर पहनी खादी।
कण-कण के हैं प्रेम पुजारी,
प्रकृति से कर ली हमने शादी।
बसंत से खिले, यौवन सबका, पतझड़ पर लग जाय हलंत्।
शोभा है गणतंत्र की, खिला हुआ है आज बसंत।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)