कविता

विश्वासघात गहन अपराध

मातृभूमि की निन्दा करना,
है सबसे जघन्य अपराध,
अपने देश को कमतर मानना,
इससे बड़ा कौन अपराध!

बेटी-बेटे में अन्तर करना,
किसी दृष्टि से उचित नहीं,
भ्रूण हत्या, नारी-प्रताड़न,
पहुँचाए न पाताल कहीं!

काम-क्रोध-लोभ-मोह-मद पांच,
मन के ये विकार-अपराध,
नित-नित रहते नचाते नाच,
साध सके तो इनको साध!

प्रकृति-दोहन, वृक्ष काटना,
विषैली खाद का करना प्रयोग,
व्यर्थ बहाना अमृत-जल को,
संसाधनों का दुरुपयोग.

व्यर्थ विवाद और कटु भाषा से,
करना देश-समाज विषाक्त,
चुप्पी साध अन्याय बढ़ाना,
विश्वासघात गहन अपराध.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244