गीत/नवगीत

लड़कियों सीखो करना वार

तुम ही मात, पुत्री, भगिनी, सृष्टि का आधार,

कब तक तुम खामोश रहोगी,सहोगी अत्याचार।
लड़कियों हाथ गहो तलवार,
लड़कियों सीखो करना वार।
घर आंगन में खेली, मेरी नन्ही राजकुमारी
मां बाप की गुड़िया रानी, भाई को जान प्यारी।
घर से निकली तो रस्ते में ,हुआ है अत्याचार
लड़कियों सीखो करना वार।
कभी कर दिया चलती बस में, तेरे संग दुराचार,
कभी कर दिए पैंतिस टुकड़े ,कभी चढ़ा दी कार,
बेटियों हाथ गहो तलवार,
लड़कियों सीखो करना वार।
जग की नकली चकाचौंध से, कर बैठी हो प्यार,
जिसको तुमने कान्हा समझा,वही दुशासन यार।
लड़कियों मत होना लाचार,
लड़कियों सीखो करना वार।
 स्वरचित एवं मौलिक रचना।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश