जीवन उपवन सा खिले
जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार।
औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।।
तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत।
पोषण-सुख देते सदा, जीवन मधुरिम जीत।।
पेड़ों को मत काटिए, देते सुखकर छांव।
पेड़ बिना जीवन कहां, बंजर धरती गांव।।
पौधों से जो जन करें, संतति सा व्यवहार।
सुख, शांति संतुष्टि मिले, जीवन सदाबहार।।
विटप धरा के फेफड़े, प्राणवायु शुभ गीत।
वंशी सा बजता रहे, तन मोहक संगीत।।
जीवन उपवन सा खिले, उर महके दिन-रात।
चहुंदिशि खुशियां मधु मिले, नूतन सुखद प्रभात।।
— प्रमोद दीक्षित मलय