गीतिका
हमसे मिलने कभी तुम भी आया करो
हमको ही मत हमेशा बुलाया करो
हमने चाहा तुम्हे, की खता मान ली
याद आके ना अक्सर रूलाया करो
घर जला के वो करते हैं रोशन जहां
लपटो से अपना घर भी बचाया करो
फूल तुम भेजते हो सदा उनके घर
अपना घर भी तो थोड़ा सजाया करो
जो दिये जल रहे उनको जलने भी दो
जलते दीयो को तुम न बुझाया करो
धक्का देके गिराना नही है सही
नीचे गिरते हुओ को उठाया करो
— शालिनी शर्मा