सितम करते हैं वोह हमारे दिल पर – और कैहते हैं ज़माने से
काम यिह किस ने किया है और – काम करने वाले कहाँ से हैं
जफ़ा करते हैं वोह हम से और – बात हमारी कभी नही मानते
कैहते हैं फिर भी ज़माने से – मुलज़म वोह बिलकुल नही हैं
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रहे नही चैन से दिल में और – दरद हमारे दिल को दिये हैं
बरबाद कर दिया हमारे नशेमन को – कहा वीराने कहाँ के हैं
बैठते हैं आकर हमारी मैहफ़िल में – हैरान सब को करते हैं
पूछते हैंफिर वोह भरी मैहफिल में- रिंद यिह किस शैहर से हैं
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गैए हम भी थे उन की मैहफ़िल में – आओ भगत बुहत हूई हमारी
बिगडा जब निज़ाम मैहफ़िल का – कहा अहतमाम वाले कहाँ हैं
मिले सब से मैहफ़िस में ख़ुशी से – आदाब हर एक के किये
बात आई जब हम से मिलने की – तो कहा दोसत आप कहाँ से हैं
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दाग़ दिल के ज़ख़मों के कभी भी – छुपाए नही खुपते ज़माने से
दरद जब उठे दिल ज़ख़मों से – कहा दरद देने वाले कहाँ के हैं
अफ़साने बरबादी के मुहबबत में – तो बुहत सुने होंगे आप ने
कहानी मुहबबत की जब ख़तम हो गैई – कहा पैग़ाम देने वाले कहाँ हैं
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उलझनों से निपटने के बुहत अहसान हैं – हमारे दिल पर ज़िनदगी के
ख़बर इस बात की जब हूई दुनिया को – कहा अहसान किस के हैं
इशक़ में रिशता दोसती और मुहबबत का – बेगाना सा हो गैया दुनिया में
बात रिशतों को बचाने की जब आई – कहा रिशते दार किस के हैं
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आँखें भीग जाती हैं मुहबबत में – दरद के आँसूओं से ही –मदन–
ज़ार ज़ार जब गिरने लगे आँसू – कहा यिह आँसू किस ने दिये हैं
तमना ज़िनदगी को जीने की कभी भी – कम नही होनी चाहिये
रासते गुम हो जाएं अगर तो पूछ लेना – रौशनी देने वाले सतारे कबाँ हैं