प्राकृतिक स्नान से सम्पूर्ण स्वास्थ्य
हमारे पूर्वजों ने अपने दीर्घकालिक अनुभवों के आधार पर बताया है कि नित्य प्रात:काल शुद्ध शीतल जल से स्नान करना अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। लेकिन अधिकांश लोग स्नान को एक फालतू कर्मकांड की तरह निबटाते हैं, जबकि इसे स्वास्थ्य प्राप्ति और उसके रखरखाव के एक अनिवार्य अंग की तरह किया जाना चाहिए।
सबसे पहली बात तो यह है कि नहाने के लिए जो जल हो वह शरीर के तापमान से थोड़ा ठंडा होना चाहिए। किसी भी मौसम में अधिक गर्म और अधिक ठंडे जल से स्नान करना बहुत हानिकारक है। सर्दी के मौसम में नल का पानी बहुत ठंडा होता है। इसलिए उसमें उतना ही गर्म पानी मिलाना चाहिए कि पानी का तापमान शरीर के तापमान के लगभग बराबर हो जाय अर्थात् हाथ डुबोने पर गर्म या ठंडा न लगे।
दूसरी बात यह है कि नहाने के साबुन का उपयोग करना बहुत हानिकारक है। सभी साबुन हानिकारक केमिकलों से बने होते हैं जो हमारे रोमछिद्रों में घुसकर रक्त और त्वचा को प्रदूषित करते हैं। भले ही साबुन में कितनी भी सुगन्ध आ रही हो, फिर भी उससे स्नान करने से हानि के अलावा कोई लाभ नहीं होता। टीवी पर दिखाये जाने वाले विज्ञापन, जिनमें किसी विशेष साबुन से नहाकर जाने पर लड़कियाँ आकर्षित हो जाती हैं या फुटबॉल मैच में गोल कर दिया जाता है, वे सब लोगों को मूर्ख बनाने और ठगने के माध्यम हैं।
इसलिए सबसे अच्छा यह है कि साबुन के स्थान पर हमें रूमाल के आकार के खुरदरे तौलिए को पानी में डुबो-डुबोकर उससे शरीर के सभी अंगों को एक-एक करके रगड़ना चाहिए। इससे रोमकूप खुल जायेंगे, पसीने के द्वारा गन्दगी भी निकलेगी और रगड़ने से मालिश का लाभ भी मिलेगा। इसके विकल्प के रूप में आप साफ मिट्टी या चंदनचूरा का उपयोग शरीर की सफाई के लिए साबुन की तरह कर सकते हैं। यदि आप किसी नदी में नहा रहे हैं, तो उसकी गीली बालू मिट्टी का भी उपयोग बेखटके किया जा सकता है।
नहाने से पूर्व पूरे शरीर को कम से कम पाँच मिनट तक हथेलियों से या किसी मुलायम कपड़े से रगड़ते हुए थोड़ा गर्म कर लेना चाहिए। फिर ऊपर बतायी गयी विधि से साधारण शीतल जल से नहाना चाहिए। स्नान के बाद भी शरीर को हथेलियों से रगड़कर सुखाना अच्छा रहेगा। कुछ दिनों तक लगातार यह प्रयोग करने पर आप इसके विलक्षण लाभों का अनुभव स्वयं कर सकेंगे।
नहाते समय गले के अन्दर अँगूठा या अँगुलियाँ डालकर उनसे हमें अपने काग और तालू की मालिश तथा सफाई अवश्य करनी चाहिए। इससे जमा हुआ कफ निकलेगा और आँखों की रोशनी भी बढ़ेगी।
इस प्रकार प्राकृतिक विधि से स्नान करने पर स्वास्थ्य बहुत उन्नत होता है और अनेक बीमारियों से बचाव होता है।
— डाॅ. विजय कुमार सिंघल