गीतिका
लुटा दिया, कुछ छोड़ा नही खजाने में
लगा दिया सब, जो था, उसे हराने में
मिटा दिया उसने मान,जो कमाया था
जिसे लगी,सदियां थी हमें कमाने में
दिखा उदास जमाना,दिखी उदासी थी
हमें दिया गम, उसने सदा हँसाने में
झुके नही हम,चाहें सब कुछ खो ड़ाला
करो न देर अपना मान तुम बचाने में
सिखा दिये गुण सारे नही छुपाया कुछ
कभी नही हिचका आग वो बुझाने में
— शालिनी शर्मा