हज़ार रंग में मुमकिन है यहां प्यार का इज़हार ,
मुंतजिर आंखों से शिदत ए गम का इज़हार।
हजारों राते जागे,एक मौसम सदियों ठहर सके?
फूल के पत्ते पर जख्म, लजरते होठों का इज़हार।
यख बस्ता हाथ खामोश लबों पर एक कहानी,
कुछ सुलगते नग़्मात, गम ए हालात का इज़हार।
शाम ए जुदाई खुद को दिन रात लिए फिरते है,
धीरे धीरे हर्फ की शाख से गहरे गा़र का इज़हार ।
दिल धड़कता है हर सितारों का आसमानों में,
भीगी रात,सुनी घड़ियाँ, सुनहरे घाव का इज़हार।
-~ बिजल जगड