राजनीति

भ्रामक साहित्य से ब्रेनवाश

“ज्ञान गंगा” व  “गीता तेरा ज्ञान अमृत” के नाम से छपे हुए साहित्य लेकर घूमने वाले आपको यदा-कदा मिल जाएंगे, परंतु वास्तव में क्या यह साहित्य सनातनी धार्मिक है ? बिल्कुल नहीं। एक षडयंत्र पूरे भारत में कुछ सनातन विरोधियों द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है, जो लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से घर का पता और फोन नंबर लेकर यह साहित्य मुफ्त में घर-घर भेजते हैं। इस प्रकार के सनातन विरोधी साहित्य प्रत्येक घर भेजने का उद्देश्य सनातन बंधुओं का ब्रेनवाश करके उन्हें धर्म विरोधी बनाने का षड्यंत्र है । विगत कई दिनों से बागेश्वर धाम के चर्चित होने के कारण अब उनके नाम से भी फेसबुक पर समूह बनाकर यह सनातन विरोधी गतिविधि लगातार चलाई जा रही है, कभी उनसे बात करवाने के नाम पर या दर्शन करवाने के नाम पर फ़ोन नम्बर मांगे जाते है। तो कभी “ज्ञान गंगा” नाम से एक पुस्तक दिखाई जाती है जिसका प्रचार प्रसार कई पुलिस अधिकारी प्रशासनिक अधिकारी व शहर व ग्रामीण के कई हिस्सों में लोगों को यह साहित्य लेते हुए चित्र दिखाए गए है। साथ ही यह अपील भी होती है कि चारों वेदों का सार इस किताब में बताया गया है जो कि पूर्णतया झूठ है गलत है। ऐसे सन्देश भी प्रसारित होते है कि अधिक से अधिक लोग जुड़ कर इस साहित्य को अपने घर पर प्राप्त करें इस तरह के संदेश के माध्यम से यह सनातन विरोधी भ्रामक साहित्य घर-घर पहुंचाया जाता है । साथ ही ऑनलाइन फोन नंबर लेकर कई लोगों से ऑनलाइन ठगी भी की गई है, आज सोशल मीडिया के बढ़ते हुए युग में हमें समझने की आवश्यकता है कि धर्म को जानने के लिए मूल साहित्य की ओर ही जाना चाहिए। वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत के मूल ग्रंथ जो गीता प्रेस गोरखपुर व अन्य कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों के माध्यम से बाजार में उपलब्ध हैं केवल उन्हें लेकर हम धर्म के विषय में अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं। मुफ्त में घर बैठे इस तरह का सनातन विरोधी या भ्रामक साहित्य ना बुलाएं ना ही ऐसे साहित्य बच्चों के हाथ में लगने दें। क्योंकि इन भ्रामक साहित्य के कारण ही हमारी आने वाली पीढ़ी धर्म विरोधी बन रही है जबकि मूल साहित्य व धर्म का ज्ञान होने पर कोई भी हिंदू सनातनी धर्म विरोधी नहीं बन सकता । ऐसे षड्यंत्र करने वाले सभी संस्थान और तथाकथित लोगों पर भी पुलिस प्रशासन द्वारा उचित कार्यवाही की जानी चाहिए फेसबुक व्हाट्सएप में चलाए जा रहे समूह को बंद किया जाना चाहिए क्योंकि आज जब व्यक्ति के पास धर्म को जानने के लिए इतना समय नहीं है कि वह मूल साहित्य को पढ़े समझे अध्ययन करें ऐसे समय में इस तरह के भ्रामक साहित्य सनातन आस्था को चोट पहुंचाने वाले होते हैं इनके प्रकाशन बेचने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए साथ ही सनातन बंधुओं को जागृत होकर ऐसे हर षड्यंत्र का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सोशल मीडिया वह सभी माध्यमों पर प्रखर विरोध करना चाहिए।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश