चिन्ता
रे मन तुम चिन्ता अब मत कर
सँवर जायेगा तेरा किस्मत का घर
रात अंधियारी काली जब जब आई
सूर्योदय से सुबहा तब लाली है लाई
अपनी किस्मत पर कर तुम भरोसा
नाहक किस्मत को तुमने है कोसा
जब वक्त ने ढ़ाया मुसीबत की पहाड़
खुल गई है सफलता का हर द्वार
कर्म को सदैव है आगे तुम्हे करना
हिम्मत धैर्य से जग में है सदा लड़ना
लाख ठोकरें देता पॉव में घाव
विफल होगी असफलता की हर दाव
फर्श से अर्श तक मंजिल है तुम्हें पाना
चिन्ता को जीवन पथ से तुम ठुकराना
मत हो अपने आप तुम कभी परेशान
उम्मीद दिलायेगा सफलता की ज्ञान
उस दिन सफलता तेरी पाँव चुमेगी
जिस दिन समय की चमन खिलेगी
जीवन की पूरी होगी हर अरमान
चलते रहना लेकर अपनी स्वाभिमान
— उदय किशोर साह