संस्कार दीजीये
जनम दिया है गर बिटिया को
भरपूर संस्कार उन्हें दीजीये
हर नुक्कड़ पे भेड़िया बैठा है
खबरदार उन्हें खुद कीजीये
बह रही है बयार विदेशी सभ्यता की
भारतीय सभ्यता की ज्ञान सींचीये
हम हैं सनातनी आर्य वंशज की
ये धार्मिक ज्ञान की सीख भी दीजीये
प्रेम विवाह एक रोग है भयंकर
अवैध चलन से अगाह कीजीये
शादी पूर्व मिलन यहॉ अवैध है
दरकिनार खुद से आप कीजीये
संयुक्त परिवार की बिखर गई छतरी
गहराई से इस बात पे गौर कीजीये
दादा दादी नाना नानी की चरित्र से
खुद को संस्कार में ढलना सीखीये
नन्हीं बिटिया अनजान है इस जग में
सामाजिकता की ज्ञान उन्हें दीजीये
माता पिता की जिम्मेदारी से उनको
संज्ञान खुद भी आप लीजीये
फैशन की चलन है प्रेम विवाह अब
इसके दुष्परिणाम से कुछ सीखीये
सफल कब हुआ है यह चलन फैशन
जग की गंदकी को अब नीछ दीजीये
हत्या हो रही है हर रोज श्रद्धा की
अगाह बिटिया को भी अब कीजीये
निगेहबानी हर दिन बिटिया पे खुद
अपनी नजर से ही हर पल कीजीये
— उदय किशोर साह