अति सुंदर दर्द की दुकान है
दर्द की दवा आज झूठी मुस्कान है
बेल रहे हैं पापड़ आज हम
अंत से हम सभी अनजान हैं
जिंदगी के रास्ते सीधे तो नहीं
हिम्मत से चलने में ही शान है
मत झुकाना सिर कभी तुम
दिल का फकत यही फरमान है
सस्ते हैं आँसू ऐ दिल तेरे यहाँ
महँगा हुआ क्यों तेरा जहान है
क्यों चाहता है ईमान से जीना
पग पग पर बेईमानी की खान है
दौलत की भूख यूँ लगी इंसान को
पीछे छूटे रिश्तों के कई अरमान हैं
कोई बना संन्यासी यहाँ ,कोई बाबा
जाने क्यों दर्द से सजी हर जान है
— वर्षा वार्ष्णेय