साथ मिलता नही हमेशा के लिये – इस दुनिया में दिलों को
शजर भी तो गिरा देते हैं ख़िज़ान में – अपने सूखे पतों को
जानते हैं हम तो इस दुनिया की – रनाितों को अछी तराह से
मतलब निकल जाने पर लोग – भुला देते हैं दूसरों को
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मज़ा और ही होता है ज़िनदगी में – खेल खेलने का दिलों का
ज़रूरी तो नही कि दुनिया में – सब को ही मिले पयार दिलों का
इनतज़ार बे शक तडपा देता हो – ज़िनदगी में लोगों के दिलों को
मगर मुलाकात एक ही पल की – राहत दे देती है आप के दिलों को
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चले आते तो हैं कैई लोग दुनिया में – बिन बुलाए ही मैहफ़लों में
मगर बियान कर नही लकते वोह – अनदाड़ अपने दूसरों को
दावा पारसाई का तो बहोत लोग – करते रैहते हैं इस दुनिया में
छुपा कर रखते हैं सफ़ैद पोशी – वोह ही लोग अपने कारनामों को
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ख़ुश भी बहोत हो जाते हैं लोग – दुनिया में सुन कर छोटी बातों को
बढ़ी बात को छुपा कर रखते हैं – हमेशा ही सी कर अपने लबों को
अरूज मिलता है जब ज़िनदगी में – ख़ुदा की नेहमत से लोगों को
तो मज़ा बहोत लेते हैं वोह ही लोग – दुखा कर दूसरों के दिलों को
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अरमान इस क़दर बसा लेते हैं लोग – ज़िनदगी में अपने दिलों में
मुशकल हो जाता है फिर उन के लिये – लेना ही अपने साँसों को
ग़म जुदाई का अगर ज़िनदगी में – चला जाए आप के सीने से
तो फिर बहोत आसानी से भुलाया – जा सकता है सारे ग़मों को
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रुलाते नही हम किसी को भी कभी भी – अपना बना कर –मदन —
भुलाते भी नही हम किसी को ज़िनदगी में – दिल अपने में बसा कर
जान दे सकते हैं हम अपनी कभी भी – उस बे दरद इनसान के लिये
जाना चाहता है जो तोड कर दुनिया में – हमारे बे बस से दिलों को